सुब्बे-सुब्बे उठते ही मूड का मसाईमाड़ा हो जाता है। आंखे अखरोट की माफ़िक गोल और बेडौल हो जाती हैं। करेजा धुकधुका कर धुंआ फेंकने लगता है। भुजाएं फड़ककर फरक्का मेल होने को आतुर हो जाती हैं।
अहा ! …क्या लिख रहे हैं आजकल आईटीसेलिये। रोज वाट्स खोलते ही उनके रचे गये कहानियों के मैसेज पढ़कर दिल मौजा ही मौजा हो जाता है। लगता है कि अगर यह भीजेपी के आईटीसेलिये न होतें तो अपन का देश कब का खत्म हो गया होता। 
गजनबी अब तक 111 बार आक्रमण भी कर चुका होता। 2014 के बाद हिन्नु शरणार्थी होता । मगर भला हो आईटीसेलियों का जो हमें बता रहे हैं कि “फलाने जी” एकमात्र ऐसे व्यक्ति जो “हिन्नु के पीछे खून बहा देंगे” वह फ़ाकिस्तान, चिन्न, हफगानिस्तान को “लाल ऑंखे” दिखाकर अपने में मिला लेंगे। सिरी लंका नहीं सुना तो उसकी भी लंका लगा देंगे।
वही हैं तो हिन्नु जाग रहे हैं,वरना हिन्नु अलप्रा’क्स की गोली खाकर सो रहा था । सत्तर सालों से कंद मूल खाकर गुफाओं में बैठा रो रहा था। 
फलाने जी 14 में आयें तब जाकर लोगों को अ’फ्रीका के घने जंगलों से निकालकर अपने देश में लायें। 
इसलिए ऐ हिन्नुओं जाग जाओ…राशन तेल महंगाई नौकरी की बिदाई महंगी होती ईलाज पढ़ाई को अब्भी के अब्भी भूल जाओ। 
और हां, नरभसाओ मत…तुम्हारे पास विकल्प क्या है..? कहाँ जाओगे…क्योंकि आईटीसेल के मेहनती तुम्हारे खाली खोपड़े राहु’ल को मंदबुद्धि… मा’या को स-वर्ण विरोधी…अखि’लेश को मुसरमानो का नेता भरते जा रहे हैं। 
और तुम उनके मैसेज उठाकर…गप्प गपा…गप्प गपा…दूसरों को भेजते जा रहे हो। 
अच्छा है…बहुते अच्छा है। कम से कम इस मंदी और कोरोनाकाल में कउनो तो व्यापार फल फूल रहा है।
हां, आईटीसेलिये डर के व्यापारी होते हैं। और तुम उसके खरीददार !
चलो भईया बढ़ाते रहो उनका व्यापार…वरना तुम्हरा जीवन हो जाएगा बेकार। 
नोट : यह कटिंग खाये अघाये अंधभक्तो ने एक दूसरे को भेजा है।

शेयर करे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *