हे हपर पुलुस हधिछक साहेब…काहे बुर्रा मान रिये हैं…हेतना जादा बुर्रा लगने का मल्लब है…अर्रे थोड़ा बर्दास्त फ़र्दास्त करो…तुम बड़का साहेब हो तो का हुआ…हो तो जात से दल्लीत ही न।
अर्रे…उ आर हाई हैं पुलुस का हिन्स्पेक्टर उ सहिये कह रहा है।कउनो गल्लत कहा है का..? उ गल्लत हो ही नहीं सकता…उ जन्मजात बाबू साहेब हैं।अउर आप अब साहेब बने हो…एक नवा-नवा साहेब पुरनके बाबू साहेब से हिसाब मांगेगा तो उसका करेजा “खखोरन दद्दा’ नियर चीत्कारेगा ही।
वइसे उ आर हाई साहेब ने ठिक्क तो कहा है। यह सर्रकार ठाक्कूरों की हय्य….कुछ गलत तो कह नहीं दिया…ई राम्मराज में झुटठे ही आप नरभसा रहें….जोगी जी से गुहार लगा रिये हैं।
राम्मराज की भ्यवस्था अइसही चलता है…आप जईसा दल्लीत हधिकारी खाली पीली बस खैनी मलता है। जिसको मज्जा लेना होगा उ तो लेगा।अउर आप लजिस्टर माँगकर हिस्साब कित्ताब देखना चाहेंगे तो उसका गान तो जलेगा ।
चलो चलो…आप एक काम करो…उससे काज्जु की बर्फी खाके शिकाईत फीकाईत का काम तमाम करो।
वरना…छोटा है कि मोटा ये तो बाद में बुझायेगा…सर्रकार का कार्रवाई बम्म तोहरे ऊपर ही गिर जाएगा।