पुस्तक समीक्षा : विनय मौर्य

बीमारी की आगोश में सिमटा फिलवक्त अध्ययन पर हूँ। मैं उस शख्स को पढ़ रहा हूं,जिसे देश ही नहीं विदेशों तक पढ़ा जाता है। जिन्हें पत्रकारिता में अपनी उम्दा जमीनी रिपोर्टों  के लिए जाना जाता है।
जिनकी कलम की धार किसी तलवार से कम नहीं है। जो सच दिखाने के लिए जुनून की हद तक जिद्दी हैं।वह खबरों के मौलिकता के लिए ढिठाई पर उतर जाते हैं। मेरा मानना है कि आप शायद ही उनके नाम से अपरिचित हों,नाम है विजय विनीत। पत्रकारिता जगत के धुरंधरों में अगर समवेत नाम लिया जाए तो उसमें एक नाम विजय विनीत का भी आएगा।
मैंने विजय विनीत जी की कई रिपोर्ट्स पढ़ी हैं। अमूमन सब में जनता से जुड़े मुद्दे होते हैं। भय, भूख और अत्याचार से कराहती-कांपती, दबे-कुचले लोगों की आवाज को वो हुबहू कागजों पर उकेर देते हैं। चाहे वो सोनभद्र का उम्भा कांड रहा हो या बनारस में घास खाते मुसहरों के दयनीय हालात की रिपोर्ट। सब में शब्दों का खर्रापन कूट-कूटकर भरा है। यह खबरों को मसालेदार रूप नहीं देते, बल्कि मसले को निष्पक्षता से निष्पादित करते हैं। यूँ कहें कि बिकाऊ मीडिया के दौर में उन बचे लोगों में से हैं जो अडिग टिकाऊपन के झंडाबरदार हैं।  
अभी मेरे नजरों के सामने जो पुस्तक है उसे विजय विनीत जी ने लिखा है- “बतकही बनारस की”। यह सिर्फ पुस्तक नहीं, बनारसीपन का मुकम्मल दस्तावेज है।इसका हर पन्ना बनारस के रस से लबरेज है। इसमें बहुत करीने से बनारस के मिजाज, अक्खड़पन और जिंदादिली को खूबसूरत शब्दों में संजोया गया है। यह पुस्तक उन लोगों की उस सोच को तार-तार करती है जो बनारस को गांजा, गाली, गलियों से इतर से कुछ सोच ही नहीं पाए हैं। 
विजय विनीत जी की यह पुस्तक आपको बनारस को हर एंगल से रूबरू कराती है। इसकी बतकही अचानक से गम्भीर तो कभी रसेदार चुहलबाजी में बदल जाती है। विजय विनीत जी ने इस पुस्तक में बनारस के हाव,भाव और स्वभाव के निचोड़ डाला है। जैसे घाटों पर बिकने वाली काली चाय में चायवाला नींबू की अंतिम बूंद तक निचोड़ कर डाल देता है।
हम आजतक सिर्फ लहुराबीर भोजूबीर को ही जानते रहे, मगर इन्होंने पुस्तक के पैरा 78 में बनारस के सभी “बीरों” से परिचित करा दिया है। यकीन मानिए आप उन्हें उंगली पर नहीं गिन पाएंगे। 
पुस्तक के किसी पेज पर निगाहें जमाते ही कभी किसी विषय पर आश्चर्य से आपकी आंखें चौड़ी हो जाएंगी, तो कभी आपके अधरों पर मुस्कान तैर जाएगी।
 पुस्तक वाचन में बतकही बनारस की मस्त और जबदरस्त एहसास देती है। 
बधाई के साथ अनन्त शुभकामनाएं विजय विनीत भैया।
@ यह पुस्तक एमेजॉन पर उपलब्ध है।
#Vinay Maurya

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