जाति विहीन समाज का लक्ष्य लेकर आगे लड़ाई लड़नी होगी – अफलातून, संसद मौन है,इसलिए हम सवाल करने का जुर्म कर रहे है – चौधरी राजेंद्र
वाराणसी : छत्रपति शाहू जी महाराज द्वारा अपनी स्टेट में प्रथम बार 26 जुलाई 1902 ई० को आरक्षण के जरिये देश के वंचित तबकों को भागीदारी देकर उनको सामाजिक और शैक्षणिक आधार पर मजबूत करने की दिशा में जो कार्य किया गया,उसे लेकर सामाजिक न्याय दिवस के रूप में ओबीसी तबके के छात्रों ने समान आरक्षण एवं नीट में ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर बी एच यू के सिंह द्वार पर प्रदर्शन किया ,सामाजिक न्याय आंदोलन वाराणसी के बैनर तले एक मार्च लंका से होकर रविदास गेट तक छात्रों एवं शहर के प्रबुद्ध लोगों द्वारा निकाल कर सरकार की मौजूदा आरक्षण नीति का विरोध किया गया ।
समाजवादी जनपरिषद के महासचिव अफलातून ने कहा कि आरक्षण का विषय सामाजिक और शैक्षणिक प्रतिनिधित्व का है ,केंद्र सरकार द्वारा लागू आर्थिक आधार पर आरक्षण पूर्ण रूप से गैर संवैधानिक है ,यह नौकरी देने की योजना नही बल्कि प्रतिनिधित्व और भागीदारी का विषय है जिसे साजिश करके केंद्र सरकार ने ओबीसी समाज को प्रतिनिधित्व से पूरी तरह वंचित कर दिया है ,उन्होंने आगे कहा कि वंचित समाज की बराबरी का सपना छत्रपति शाहू जी महाराज ने जो देखा था वह समाज को बराबर सम्मान देने का था ,मगर दक्षिणपंथियो ने देश के पहले दलित कैबिनेट मंत्री जगजीवन राम द्वारा बनारस में एक प्रतिमा के अनावरण के बाद ,उस प्रतिमा का गंगाजल से शुद्धिकरण करके यह संदेश दे दिया था कि वे वंचित समाज से आने वालों लोगों को बराबरी का हक नही देना चाहते और यह गैर बराबरी आर्थिक आधार पर नही बल्कि जाति के आधार पर की गई । वे समता के नही बल्कि असमानता के पक्षधर रहे है,उनका उद्देश्य ओबीसी सहित वंचित तबके को बराबरी का अधिकार नही देना है ,जिसे मौजूदा मोदी सरकार पूरा कर रही है ,जबकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र में मोदी खुद को पिछड़ा बताते हुए अपने चुनावी रैलियों में यह कहते आये कि वे पिछड़े समाज के साथ न्याय करेंगे उनके वादों का नतीजा अब आपके सामने है ,वे आगे कहते है यह लड़ाई केवल आरक्षण तक सीमित नही है,इसके आगे भी आपको जाति विहीन समाज के निर्माण के लिए संघर्ष करना होगा और जब तक जातिगत जनगणना नही होगी तब तक सरकारों द्वारा आपको छलने का काम होता रहेगा ,इसके लिए व्यापक स्तर पर आंदोलन की जरूरत है ।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता चौधरी राजेन्द्र ने कहा कि ओबीसी और समाज के वंचित तबकों के आरक्षण पर हमला ,शाहू जी महाराज और डॉ अम्बेडकर के सपनो के भारत पर हमला है ,यह एक सुनियोजित तैयारी है कि कैसे पिछड़े और वंचित समाज को उनकी सामाजिक और शैक्षणिक भागीदारी से वंचित करके उनको मजबूर किया जाए ,उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि जब संसद में आर्थिक आधार पर आरक्षण की बहस चल रही थी तो सरकार के अलावा विपक्ष भी मौन रहा है,और जब विपक्ष मौन हो जाये तब लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए सड़क से सवाल उठाना पड़ेगा , यदि सरकार सड़क से सवाल करना जुर्म समझती है, तो यह जुर्म हमे कबूल है ,और वंचित तबके की भागीदारी के लिए सड़क से सवाल जारी रहेंगे और इसके लिए व्यापक संघर्ष होगा ।उन्होंने कहा कि जो लोग आज सत्ता में काबिज है वे जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति से आये लोग है,जिन्होंने चौधरी चरण सिंह द्वारा मंडल कमीशन की सिफारिश और पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह द्वारा मंडल कमीशन को लागू करने बाद इस पर हमला करने के उद्देश्य से अयोध्या में बाबरी विध्वंस का जो खेल खेला है आने वाले समय मे उनकी भी जवाबदेही तय होगी और यह संघर्ष तब तक चलेगा जब तक जनसंख्या के अनुपात में समान भागीदारी तय नही हो जाती,देश मे साम्प्रदायिक माहौल का जो खेल खेला जा रहा है वह आपके हक को छीनने के लिए खेला जा रहा है, आरक्षण सामाजिक और शैक्षणिक भागीदारी के विषय है ,एक तरफ वे सामाजिक रूप से वे आपको बराबरी का दर्जा देना नही चाहते तो दूसरी तरफ महंगी शिक्षा व्यवस्था लागू करके आपको शिक्षा से भी वंचित करने की तैयारी है,जिसका प्रतिवाद जरूरी है ।
कार्यक्रम को सामाजिक कार्यकर्ता डॉ छेदी लाल निराला,मनीष शर्मा ने भी संबोधित किया। प्रदर्शन में युगेश, शुभम,विवेक यादव ,ईश्वर सिंह विजय,धीरज,सुजीत यादव,श्रीप्रकाश पाल, सीपी यादव,बेबी पटेल,भुवाल यादव,सुमित यादव,रत्नेश, चिंतामणी सेठ, विमलेश,जयप्रकाश सहित कई लोग उपस्थित रहे ।