धारावाहिक

टिकट चेक करते हुए टीटी बोला दिल्ली जा रहे हो, सुनो ट्रेन में कोई दोस्ती गांठने की कोशिश करे तो सतर्क रहना। किसी का कुछ लिया दिया खाना पीना मत।

मैंने कहा, पता है…अम्मा भी यह बात बताई है।

पता तो सबको होता है बेटा…मगर अक्सर बोगी में लोग उलटे पड़े मिलते हैं।
जरा सी लापरवाही किये तो जहरखुरानी के शिकार हो जाओगे। जहरखुरानों के शिकार पुरबिये ज्यादा होते हैं। खासकर यूपी बिहार वाले…समझे।

जी समझ गया…मैंने उसके इस मुफ़्त की सलाह पर कहा। औऱ खिड़कियों की तरफ देखने लगा, वह टिकट चेक करते हुए दूसरी बोगी में चला गया।

ट्रेन धड़ धड़ करते आगे बढ़ रही थी। मैं सोच में डूब गया कि यूनिवर्सिटी का माहौल क्या होगा…सुनते हैं सीनियर जूनियरों की रैंगिग करते हैं।
अगर हॉस्टल एलाट हो गया तो ठीक…वरना पहुँचते ही किराये का कमरा ढूढंना पड़ेगा।

तभी चाय चायsss चायsss करते हुए चाय वाला मेरे करीब आ खड़ा हुआ।
मैं उसकी तरफ देखा तो वह बोला… अच्छी चाय है साबs जी…पिलो ताजा हो जाओगे।ख़ालिस भैंस के दूध की है।

दूँ…??
मैंने कहा, नहीं नहीं अभी मन नही है। दरअसल मुझे यह भी डर था कि कहीं चाय में कोई नशीला पदार्थ मिलाकर पिला दिया तो…?

अरे साबs इतना सोचो मत पढ़वईया लगते हो आप..? पहली बार इस ट्रेन में चढ़े हो…नहीं तो इस ट्रेन से चलने वाले हमे और हमारी चाय को न भूलते हैं न मना करते हैं।
आप से बोहनी की शुरुआत है,वरना आगे बढ़ जाता।
आप चाय पीओ न पसन्द आये तो पैसे मत देना…इतना कहकर वह चाय कुल्हड़ में उड़ेलने लगा।

मुझे चाय थमाकर वह आगे बढ़ गया। हूँs चाय तो वाकई कड़क और मजेदार है।
कुल्हड़ से चाय के एक शिप ने बता दिया था। अमूमन ट्रेन की चाय इतनी मजेदार नहीं होती।

सर प्लीज करा दीजिये…मेरा कन्फर्म नहीं हो पाया है। सर एडमिशन का मामला न होता तो टिकट कैंसिल करा देती। समझिये न सर।

अरे भई मैं आपकी मजबूरी समझ रहा हूं मगर सीट हो तब तो दूँ न…

सर किसी की सीट पर बैठा तो सकते हैं, खड़े खड़े पैर दुख गयें।

पलट कर देखा तो अटैची थामे दुपट्टे से मुंह बांधे एक लड़की टीटी से रिक्वेस्ट कर रही थी।

मुझे क्या… मैं तो नहीं बिठाऊंगा..मन में सोचते हुए। अब सिकोड़े हुए पैर को पूरी सीट पर फैला दिया। और सीट के निचे से अटैची निकालर सीट पर रख दिया। जिससे लगे कि कोई जगह नहीं है। और निदाने का उपक्रम करने लगा।

अब तक वह दोनों बात करते करते मेरे बगल तक आ गयें थें।

देखो यह दिल्ली जा रहे हैं,अगर तुम्हें बिठा सकते हैं। तो मुझे कोई एतराज नही है। टीटी ने मेरी तरफ इशारा करते हुये कह आगे बढ़ गया।

एक्सक्यूजमी…ओय हेलो सर…ओय हेलो
मैं आंख बन्दकर समझ रहा था कि वह मुझसे ही मुखातिब है।

वह कंधे से मुझे हल्के से झिंझोड़ते हुए…क्या मैं आपकी सीट पर बैठ जाऊं।
कहते हुए अपनी और मेरी अटैची सीट के नीचे रखते हुए धम्म से बैठ गयी।

क्रमशः—–

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