कोविड-19 के काल में लोगों को जो सकारात्मक या नकारात्मक अनुभव हुए तथा इस काल में समय का प्रबंधन कैसे किया इस विषय पर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, यू०पी० के पूर्व अध्यक्ष एवं संरक्षक डॉ० दीनानाथ सिंह जी के अध्यक्षता में आभासी माध्यम से विचार आमंत्रित किये गये । इसमें अनेक लोगों ने अपने-अपने अनुभवों को प्रेषित किया । डॉ० जगदीश सिंह दीक्षित जिन्होंने इस विचार गोष्ठी का आयोजन किया ने बताया कि कोविड-19 के काल में पूरा सामाजिक ताना- बाना छिन्न-भिन्न हो गया। दुख की घड़ी में भी लोग यह हिम्मत नहीं जुटा पाए कि पास में रहते हुए भी उनके यहाँ जाकर दो शब्द संवेदना भी व्यक्त कर सकें। बड़ी ही भयावह स्थिति रही। अपने घर के अंदर ही जो लोग इस महामारी के चपेट में आकर क्वारंटीन हो गये थे उनसे दूरी बनाकर रहे।ऐसी स्थिति अपने बीवी-बच्चों के साथ भी उत्पन्न हुई । इससे दुखद स्थिति और क्या हो सकती है ।
डॉ० आभा सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, मनोविज्ञान विभाग, पी०पी०एन०कालेज, कानपुर
डॉ० आभा सिंह ने बताया कि अपनी दिनचर्या को संतुलित रखने के लिए आत्म अनुशासन का सहारा लिया। प्रातः 5 बजे से 11बजे के बीच दैनिक कार्य, व्यायाम, ध्यान एवं स्वाध्याय में व्यस्त रखा। ईश्वर में विश्वास एवं मनोबल को बनाए रखकर स्वयं को एवं समाज को भी आनंदित बनाए रख सकने में अपना योगदान देने की बात कही।
डॉ० विनोद कुमार राय, जगतपुर, वाराणसी
डॉ० विनोद कुमार राय ने कहा कि कोरोना महामारी की तीसरी, चौथी लहर आनी है जिससे बचने के लिए भारतीय जीवन पद्धति का पालन एवं ईको फ्रेंडली कार्य करने होंगे।
डॉ० बब्बन राम, मथुरा महाविद्यालय, रसड़ा, बलिया
डॉ० बब्बन राम के विचार से कोरोना महामारी के कारण पूरे विश्व की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। बिना वेतन वालों की जिंदगी अंधेरे में डूबी हुई है, इन लोगों के बारे में सरकार को सोचना चाहिए।
हरिशंकर सिंह
हरिशंकर सिह ने यह व्यक्त किया कि प्रकृति सबके लिए होती है लेकिन मानव इसे केवल अपने उपयोग का साधन समझ बैठा और प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया। अतः प्रकृति को बचाने की बात कही।
डॉ० कुमुद सिंह,एसोसिएट प्रोफेसर, समाजशास्त्र विभाग, श्री अग्रसेन महिला पी०जी०कालेज, वाराणसी
डॉ० कुमुद सिंह ने कहा कि कोविड-19 के दौर ने परिवार के साथ रहने का लम्बा समय दिया एवं जिसमें गीत, संगीत ,व्यायाम, फल, फूल और मोटे अनाजों की तरफ मन समर्पित हो गया। बहुत सारे शैक्षिक कार्यक्रम आभासी माध्यम से होने के कारण नकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं।
डॉ० जयराम सिंह, वाराणसी
डॉ० जयराम सिंह ने अपने अनुभव को बताते हुए कहा कि समाचार पत्र, इंटरनेट की दुनिया और दूरदर्शन के अतिरिक्त इस आपात अवधि में मैंने अपना समय सामान्यतः चिंतन, मनन,अध्ययन, लेखन आदि में बिताया। समय- समय पर आनलाईन गोष्ठियों में भी उपस्थित हुआ। भारतीय इतिहास, संस्कृति, दर्शन, वास्तु विज्ञान, स्वास्थ्य रक्षा आदि विषयों पर सोशल मीडिया पर अपना लघु लेख भी प्रकाशित करता रहा।
डॉ० अवनींद्र कुमार सिंह, प्रवक्ता, रतनपुरा मऊ
डॉ० अवनींद्र कुमार सिंह के अनुसार परिवार, पुराने दोस्तों, छूट चुके रिश्तेदारों को याद करने और समय बिताने का अच्छा मौका मिला। सोशल मीडिया पर संवाद एवं संकट से निपटने की चर्चाएं देखीं सुनी। अपनी हॉबी पूरी करने और विभिन्न विद्यालयीय कार्य कर के अपने को सकुशल रखा। यद्यपि संक्रमित होने का डर, जरूरत की चीजें न मिलने का डर एवं घर में सामाजिक वातावरण के खोने का अनुभव भी हुआ।
डॉ० पूनम सिन्हा, असिस्टेंट प्रोफेसर, सुखमय महिला पी०जी०कालेज, बेहड़ा, जौनपुर
डॉ० पूनम सिन्हा ने कहा कि कोविड-19 के कारण लोगों में इतना डर बैठ गया है कि लोग जल्दी घर से बाहर नहीं निकलना चाहते हैं। इसकी चपेट में मेरा भी पूरा परिवार आया लेकिन हमनें अपने परिवार का इलाज घर पर रह कर किया और अभी सभी स्वस्थ्य हैं। ऐसी स्थिति से सुरक्षित रहने के लिए हम सभी को वैक्सीन लगवा लेना चाहिए।
डॉ० रीता सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, शिक्षक शिक्षा विभाग, तिलकधारी महाविद्यालय, जौनपुर
डॉ० रीता सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कोविड-19 के काल में समस्त जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया। व्यक्ति के प्रतिदिन की दिनचर्या से लेकर और महत्वपूर्ण कार्य बाधित एवं प्रभावित हुये। बच्चों के शारीरिक क्रियाकलाप एवं उनके शिक्षण का क्रियात्मक पक्ष सार्वाधिक उपेक्षित हुआ लेकिन इन विषम परिस्थितियों में लोगों ने धैर्य एवं मनोबल को ऊँचा रखना सीखा। लोगों में अनेक सृजनात्मक योग्यताएं एवं मानवता के प्रति संवेदना विकसित हुई।