चंदौली। सदर ब्लाक प्रमुख चुनाव मतदान के दौरान मुख्यालय पर जमकर बवाल हुआ। सपाई और भाजपाई आपस में भिड़ गए मारपीट के बाद पत्थरबाजी भी हुई। पुलिस और पीएसी के जवानों ने मोर्चा संभाला और लाठी भाजकर लोगों को खदेड़ा। मतगणना एजेंट बनाने और भाजपा विधायक शारदा प्रसाद के मतगणना स्थल पर प्रवेश को लेकर बात बढ़ गई और सपा और भाजपा कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए।

          ब्लाक प्रमुख के चुनाव में जिला मुख्यालय पर लोकतंत्र की जमकर धज्जियां उड़ीं। ब्लाक परिसर और उसके आस-पास का क्षेत्र युद्ध का मैदान बना रहा। कहने को तो पूरा परिसर पुलिस छावनी बना हुआ था लेकिन पुलिस और पीएसी के जवान न तो पत्थरबाजी रोक सके ना ही मारपीट। इस बवाल में घायल होने वालों में अधिकांश सपा कार्यकर्ता थे, जो दौड़ा-दौड़ाकर पीटे गए। घंटों गोरिल्ला युद्ध चला। पुलिस पीटने वालों पर सख्ती करने की बजाय बचाव के मुद्रा में नजर आई। इस घटना से किरकिरी निश्चित तौर पर योगी सरकार की हुई है। बहरहाल घटना के विरोध में सपाई धरने पर बैठे तो सदर कोतवाली ने दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई का भरोसा दिलाया।जैसी आशंका थी वही हुआ। सदर ब्लाक प्रमुख पद चुनाव मतदान नोंकझोक के बीच शुरू हुआ और अंत मारपीट के साथ हुआ। मुख्यालय पर तकरीबन आधे घंटे तक पत्थरबाजी हुई। भाजपा कार्यकर्ताओं ने और सपाइयों ने एक दूसरे पर जमकर लात-घूंसे चलाए और दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। कई मोटरसाइकिल तोड़ दी गईं। मारपीट में दोनों पक्षों से तकरीबन एक दर्जन लोग घायल हुए हैं।  

         सदर ब्लाक प्रमुख चुनाव मतदान के दौरान जो हुआ वैसी अराजकता इसके पहले जिले में देखने और सुनने को नहीं मिली थी। सपाइयों और भाजपाइयों के बीच मारपीट इसकी एक वजह थी लेकिन पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों का रवैया इसके लिए कम दोषी नहीं कहा जाएगा। कुछ मनबढ़ युवकों ने अनुशासित मानी जाने वाली बीजेपी को बदनाम करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। कानून व्यवस्था को पूरी तरह से अपने हाथ में ले लिया था और जिसके पास कानून व्यवस्था के अनुपालन की जिम्मेदारी थी वे असहाय नजर आ रहे थे। कुल मिलाकर मुख्यालय पर जो हुआ वह बेहद ही शर्मनाक था।

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