अपना समाज आजकल भोत शिष्ट हो चुका है।आजकल के समाज लोग शराब पीने वालों को शराबी बेवड़ा न कहकर “अल्कोहलिक” कहने लगे हैं।मने हमारे जमाने की दारू अब लिकर,ड्रिंक,अल्कोहल जैसे क्यूट नाम पा चुकी है। इसलिए वर्तमान कल्चर में सभ्य समाज के बिट्टू,सिट्टू, फ्रेंकी, चंकी टाइप के कुल डुड फटेली घुटने तक चढ़ी जीन्स पहनकर बकरे जैसी दाढ़ियों के साथ। पढ़ाई सढ़ाई जैसी कैरीयरी बातों की छोड़कर होटलों के ‘बारों’ में सिगरेट फूंकते हुए वही एल्कोहल की चुस्की लेते हैं।और गार्जियन की लापरवाही अनदेखी से 8 प्रतिशत अल्कोहल वाला भालू अरे वही बीयर। बढ़ते-बढ़ते एक दिन 42 प्रतिशत हो जाता।तब उनके गार्जियन को लगता है कि लड़का ड्रिंक करने लगा है,वैसे भी उन्हें कम फर्क पड़ता हैं क्योंकि अल्ट्रा मॉर्डन गार्जियन “गटका ले सैंया अल्कोहाल से” टाइप के गानों से प्रभावित रहते हैं।और कुल डूड जंक फूड के साथ एल्कोहल जमकर छान रहा है।ऐसे ही कुल डुड लड़कों का अल्कोहलिक स्तर ऐसा होता है।
ओकेजनोहलिक–ऐसे कुल डुड लड़के किसी विशेष ओकेजन (अवसर)पर दोस्तों के साथ..बस दो घूंट दो घूंट..से मुँह बनाते हुए 8%वाला अल्कोहल मने बियर को गले से उतारते हुए एक बियर पर आ जाते हैं,और स्मेल छुपाने के लिए बाबा इलायची कुंच खाते हैं,इसलिये इन्हें ओकेजनोहलिक कहते हैं।
हल्कोहलिक–इस टाइप के कुल डुड अपना कोटा बना चुके होते हैं कि मुझे एक या दो केन बियर ही हलक से उतारना है,ताकि खुद को मेंटेन रख सकें,इसलिए हल्का पी खुद को मेंटेन रखने वाले को हलकोहलिक कहते हैं।
जबरोहलिक–जबरोहलिक वाले वो लड़के हैं जो पीना तो नहीं चाहते मगर दोस्त उसको उसकी गर्लफ्रैंड की कसम देकर या नहीं पीने पर पूरी बियर का खर्च तुझे देना पड़ जायेगा जैसे शर्त रखकर पिला देते हैं,जबरन पीने वालों को इसलिए जबरोहलिक कहते हैं।
मौकोहलिक–यह उस टाईप के लड़के होते हैं जो बीयर की दुकानों या बारों में बैठे मिल जाएंगे जब दो तीन कैन अंदर चला जायेगा तो अपने दोस्त को फोन करेंगे कि कहाँ है यार फलनवा बार में या ढेकनवा ठेके पर सिगरेट लेकर आ मुड सही नहीं था पापा डांट दिये हैं।परीक्षा में नंबर कम आया, ब्रेकअप हो गया,टेस्ट में फेल हो गयें जैसे बहानों के साथ पीने बैठ जाते हैं,ये पीने के लिए खुशियों में भी यार यह तो खुशी का मौका है,कहकर अल्कोहल ढकेल लेते हैं,इसलिए मौकोहलिक कहते हैं।
जम्बोहलिक–जब पीने के सब स्टेजों को कुल डुड लड़के पार कर उल्टी करने की हद तक पीते जाते हैं तो उसे जम्बोहलिक कहते हैं,इस टाइप के लड़कों को न अपने पैरेंट्स की चिंता होती है न करियर न समाज की ऐसे लड़के शक्ल से ही पहचान में आ जाते हैं।
बाद में यही एल्कोहलिक लड़के फुर्र फिररर होयँ होयँ करते हुए सड़कों पर मोटरसाइकिल दौड़ाते हुए खुद या किसी और का हाथ पावँ तोड़ देते हैं,कुछ तो असमय ही “यम के राजा” को प्रिय हो जाते हैं।मगर अल्ट्रा मॉर्डन गार्जियनो के लिए अल्कोहल तो आजकल फैशन हो गया है।बच्चे लड़ें भिड़ें मरें करियर चौपट करें अपनी बला से।उन्हें समाज में दिखाने के लिए अपने लड़के को महंगी हाईस्पीड बाइक महंगी मोबाइल और गड्डी भर जेब खर्च देना है,ताकि पड़ोसी के लड़के से अपने लड़के का रुतबा कम न हो जाये।
नोट-मैं अधेड़ावस्था में प्रवेश कर चुका हूं, डूडीयनवस्था से मुक्त हूं,इसलिए मनोहलिक हूं।😎