एक दिन हम मुहं लटकाये जात रहेन तब से पीछे से कोई आके बोला धप्पा… हम पलट का देखे तो अपने जोगी जी थें।

हम कहें का ये जोगी जी हमरे मुँह का मनमोहन अउर करेजा का कचौड़ी हुए जा रहा है।अउर आप पीठ पर “ठोक” देई रहे हैं।

उ बोले ये राज्ज़ा बनारसी काहे हुए जा रहे बैगन बासी। तुम मुरुल्लो के टाईट होने से खुश नहीं हो का बे..?

हम कहेन ये जोगी जी हम तो मुरुल्लो के टाईट होने से हेतना खुश हैं कि पूछ्यो मत। ई करूआ तेल फुलेल जो महंगा हुआ है न…मुरुल्लो की तो गांव फट गई है। बहुते ठीक किये हैं…उ सब रोज भिरयानी मोरगा मछरी खाता था। खुब्बे करूआ तेल खपाता था। करुआ तेल महंगा हो जाने से सब मुरुल्ला लोग औकात में आ गया। एकदम्मे से उ दाल भात पर आ गया।
हमका पता है कि आप जल्दिये हिन्नु लोगन के लिए “मौजी जी के राज में मौजकर” योजना लाओगे अउर सिरिफ हिन्नु लोगन में करूआ तेल बटवाओगे।

हम तो “थैंक्यू मौजी ! आपके राज में करूआ तेल बचने लगा” लिखा पोस्टर भी बनवा लिए हैं।

हमका पता है आप लोग
करुआ तेल पकोड़ा लोजगार के लिए बचा रहे हो।

अउर ई ढीजल पिटरोल महंगा कर देने का मास्टरईसटरोक भी जानते हैं। मुरुल्ले चंपर बनाते है। जब ढीजल पिटरोल महंगा जाएगा। तब सब आदमी लोग साईकिल बैलगाड़ी तांगा पर आ जायेगा।
न गाड़ी चलेगी, न मुरुल्ले चंपर बना पाएंगे। अउरे मजे में टाईट हो जाएंगे।

अई शाबास ! अबे विनयवा तेरे पास तो बहुत सिक्सा है। मगर तू फेर काहे मुँह लटकाये है।

अईसा है जोगी जी न…जेब में फूटी कौड़ी नही है…न कोई काम है…अपना तो हाल बस आपके सर्ररकार की तरह जय सिरी राम है। हमहुँ अब काम के भरोसे नहीं बस राम के भरोसे हैं।

का बात करते हो विनयवा… हमरे राज में तोहका काम की कमी होई गवा…चलो चलो जाओ….मेलठ का पुलुस कफ़तान बन जाओ….या जाओ मुरलादाबाद के कल्लेक्टर बन जाओ। बताओ भला हम रस्ते में पकड़ जकड़ के सब लईका लोगन के लोजगार दिये हैं। केतना बेलोजगारन के जबरी ढीएम कमिश्नर हेसपी बना दिये हैं।

अउर तुमका लोजगार का कमी होई गवा…तुम तो आपन लईका हो….जाओ जल्दी गठरी पोटरी बान्नहो अउर निकल लो नौकरी पर ।

मगर जोगी जी होतना दूर मत भेजिये । हमरा रिकभेस्ट है। की हमका जाजमगड़ या जागीपुर या झोनपुर या मदोही या जिर्जापुर में नौकरी दे । तनी नगीचे रहेगा तो घर दुआर भी देख लेंगे। हिताई नताई भी कर लेंगे।

उ बोलेन । देखो मौरिया लोजगार दे सकते हैं। मगर नगीचे रहोगे तो फेसभुकवा पर फिरी में बकैती फेलोगे।
जब जिल्ले का कफ्तान फेसभूक पर बकैती फेलेगा तो पभलीक का ‘सुरक्सा’ कौन करेगा।
चलो हटो 4 लाख की लिस्ट में से तुम्हारा नाम कैंसिल। जाओ अब हात्मनिर्भर बनो अउर करुआ तेल से पकोड़ा तलो।

इसलिए आप लोगन के बताये देते हैं। हम अपनी गलती से लोजगार नहीं पाये हैं। इसमें जोगी जी का कउनो दोष नही है।

हम आज भी गर्भ से कह सकते हैं कि हम खुददे कफ्तान कल्लेकटर की नौकरी छोड़ के बईठे हैं।

आप लोग चाहो तो मुझे कल्लेक्टर साहेब कफ्तान साहेब कह सकते हो। 😎

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