एकदम ठिक्क कहा…केन्र सर्रकार ने। सच्चाई में राज्ज़ा हरीशचन्द को फेल्ल कर दिया। हाँ…वाकई कोरोना में कोई हाक्सीजन की कमी से नहीं मरा…सब जानबूझकर मरे हैं। सब मौजी सरकार से चिढ़ते थें।इसलिए सब खुद से अपनी नाक दबाकर…यहां तक कि हॉस्पिटल के तकिया से खुद का मुहं दबाकर मरे हैं।
हां, हमरा दावा है…कोई चाहे तो हाक्सीजन की कमी से मरने वाले व्यक्ति के परिवार का मोलबाई सेट पेगासस पर डालकर जासूसी कर सकता है।
मेरा तो यह मानना है कि जानबूझकर सब कोरोना से मरें हैं। ताकि हिन्नु हृदय जुम्राट का नाम बदनाम हो। पता ही होगा कि कोरोनाकाल में केतना भीदेश में डंका बजा था।
इसलिए जो कहता है कि हमरे मौजी जी अउर जोगी जी कि सर्रकार में उसके पलूआर का कोई हाक्सीजन की कमी से मरा है। कस्सम से उ पाकुस्तान से पईसा लेकर मरा है। उसके पलूआर का लोग सप्पा बसप्पा छान्ग्रेस के लोग हैं।
अउर जो हमरे बात को काटेगा…उ चिन्न पाकुस्तान का……..आगे नईं बोलूंगा।