हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला रक्षा बंधन का त्यौहार भाई बहन के प्यार की प्रगाढ़ता का प्रतीक है । बहने  अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई अपनी बहन की हर विपत्ति पर रक्षा करने का संकल्प लेता है । राखियों में  भावनात्मक प्रेम और दृढता भी छिपा होता है । हर साल की भांति इस बार रक्षाबंधन के दिन विशेष संयोग बन रहा है । रक्षाबंधन के दिन इस साल सावन पूर्णिमा धनिष्ठा नक्षत्र के साथ शोभन योग का शुभ संयोग बन रहा है । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस सह योग को उत्तम माना गया है ।

राखी पर बनने वाले यह खास संयोग भाई बहन के लिए लाभकारी साबित होंगे । 22 अगस्त को सुबह 10:34 तक शोभन योग रहेगा । यह योग शुभ फलदाई होता है, इसके साथ ही रक्षाबंधन के दिन रात 7:40 तक धनिष्ठा नक्षत्र का योग रहेगा ।

शोभन योग का महत्व 
ज्योतिष शास्त्र में शोभन योग का शुभ कार्यों और यात्रा पर जाने के लिए उत्तम माना जाता है । मान्यता है कि इस योग में शुरू की गई यात्रा मंगलमय और शुखद रहती है ।
धनिष्ठा नक्षत्र का फल ज्योतिष के अनुसार 
धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी मंगल है । कहा जाता है कि इस नक्षत्र में जन्मे जातक भाई बहन मे विशेष लगाव रहता है । धनिष्ठा नक्षत्र में जन्मे लोग बहुमुखी प्रतिभा और बुद्धि के धनी होते हैं । 
ज्योतिष के अनुसार राखी बांधने का सही मुहूर्त  
राखी बांधने के समय भाई का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए बहनों को पूजा की थाली में चावल,रोली, राखी ,दीपक , नारियल आदि रखना चाहिए । इसके बाद बहन को आपने भाई के अनामिका उंगली से तिलक करना चाहिए । तिलक के बाद भाई के माथे पर अक्षत लगाएं ,अक्षत अखंड शुभता को दर्शाते हैं ।उसके बाद भाई की आरती उतारनी चाहिए और उनके  जीवन की मंगल कामना करनी चाहिए । कुछ जगहों पर भाई की  सिक्के से नजर उतारने की परंपरा है । 

रक्षाबंधन : पुराणों और ग्रंथों के अनुसार 
यदि आप ग्रंथों में देखें तब आप पाएंगे कि रक्षाबंधन को पुण्य प्रदायक माना गया है । इसका मतलब है कि इस दिन अच्छे कार्य करने वालों को काफी पुण्य प्राप्त होता है । रक्षाबंधन को बिष-तारक या विष नाशक ,भी माना जाता है वही इसे ,पाप नाशक,भी कहा जाता है जो कि खराब कर्मों को नाश करता है ।यह परंपरा अलग-अलग राज्यों में अलग तरीकों से मनाई जाती है । भविष्य पुराण में वर्णन मिलता है , कि एक बार देव और दानवों में जब युद्ध शुरू हुआ तथा दानव हावी होते नजर आने लगे भगवान इंद्र घबराकर देव गुरु बृहस्पति के पास गए और अपनी व्यथा सुनाने लगे वहीं पर बैठी इंद्र की पत्नी सची (इंद्राणी)जो भगवान विष्णु की बहुत प्रिय भक्त थी यह सब सुन रही थी । उसने भगवान विष्णु को याद किया भगवान विष्णु ने एक रेशम का धागा मंत्रों की शक्ति से पवित्र कर उसको दे दिया और कहा कि इस धागे को अपने  पति की कलाई पर बांध दें। वह श्रावण मास का पूर्णिमा का दिन था । इंद्राणी ने वैसा ही किया इंद्र को इस युद्ध में विजय प्राप्त हुई । तभी से लोगों का विश्वास है कि इंद्र को विजय इस रेशमी धागा पहनने से मिली थी । उसी दिन से श्रावण पूर्णिमा के दिन यह धागा बांधने की प्रथा चली आ रही है । यह धागा यश,धन ,शक्ति प्रसन्नता ,और विजय देने  में पूरी तरह  से सक्षम माना जाता है ।पुराणों में एक कथा और प्रचलित है, मृत्यु के देवता यम करीब 12 वर्ष तक अपनी बहन यमुना के पास नहीं गए । इस पर वह काफी दुखी हुई बाद में गंगा माता के परामर्श पर यम जी ने अपनी बहन के पास जाने को निश्चय किया । अपने भाई के आने से यमुना को काफी खुशी प्राप्त हुई । यम ने प्रसन्न होकर यमुना को वरदान दिया कि आप हमेशा अमर रहे ।वही एक कथा का और उल्लेख मिलता है । भगवान गणेश के दोनों पुत्र शुभ और लाभ इस बात को लेकर परेशान रहते थे कि उनको कोई बहन नहीं है । इसलिए उन्होंने अपने पिता से एक बहन के लिए जिद की । जिस पर नारद जी के हस्तक्षेप करने पर बाध्य होकर भगवान गणेश को संतोषी माता को उत्पन्न करना पड़ा । 
माता लक्ष्मी और राजा बलि की कहानी 
असुर सम्राट राजा बलि एक बहुत ही बड़ा भक्त था ।भगवान विष्णु की अत्यधिक भक्ति से प्रसन्न होकर विष्णु ने बलि के राज्य की रक्षा स्वयं करनी शुरू कर दी । ऐसे में लक्ष्मी जी परेशान होने लगी, क्योंकि विष्णु जी अब बैकुंठ मे नहीं रहते थे । लक्ष्मी जी एक ब्राह्मणी औरत का रूप लेकर बलि के महल में रहने लगी ।  बाद में उन्होंने बलि के हाथों में राखी भी बांधी और बदले में उनसे कुछ देने को कहा अब बलि को यह नहीं पता था वह औरत और कोई नहीं माता लक्ष्मी है । इसलिए उन्हे कुछ भी मांगने की बात कह दिए । इस पर माता ने बलि से विष्णु जी को उसके साथ वापस बैकुंठ लौट जाने का आग्रह किया । इस पर बलि अपने संकल्प के आगे विवस हो गये और उन्होंने भगवान विष्णु को माता लक्ष्मी के साथ वैकुण्ठ जाने का आग्रह किया । 

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ -21अगस्त 2021 की – शाम 7:00 से 22अगस्त 2021की-शाम 5 : 31 तक शुभ मुहूर्त–6 : 15  सुबह से शाम 5:31 तक रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त —1: 42 दोपहर से शाम 4 : 18 तक रक्षाबंधन की समय अवधि –11 घंटा 16 मिनट की है । “येन बंध्दो बली राजा दानवेंद्रो महाबल:तेन त्वामनुवधमि रक्षे मा चल मा चल”  (मंत्र का उच्चारण करते हुए राखी बांधना चाहिए) 

अपने भाई की राशि के अनुसार बांधे ऐसी राखी 

राशि वाले यदि आपकी भाई की मेष राशि है तो लाल रंग की राखी या रेशम डोरी बांधना शुभ रहेगा तथा  मालपुआ खिलाए  जिससे उनके  जीवन  में भरपूर ऊर्जा बनी रहेगी ।

राशि वाले के लिए बहन अपने भाई के लिए नीले रंग की राखी या रेशम डोरी बाधे और दूध से बनी हुई मिठाई खिलाए तो उनके जीवन में बेहतर परिणाम मिलेंगे ।

राशि बहने अपने भाई के लिए हरे रंग की राखी बांधे जिससे सुख समृद्धि और दीर्घायु होगी और बेसन से बनी मिठाई या लड्डू खिलाए । 

राशि बाले अपनी बहनों  से पीले रंग या सफेद रंग की राखी बनाए जिससे उनके जीवन में भरपूर खुशहाली रहेगी रबड़ी आदि खिलाएं ।

राशि के लोग अपनी बहन से पीले रंग कि राखी बनवाएं उनके लिए जीवन की खुशियां रहेंगे पंच रंगिया मिठाईयां खिलाएं ।

राशि वालों के लिए लोग अपनी बहनों से हरे रंग की राखी बाधाएं, जिससे सभी प्रकार के ग्रह दोष दूर होंगे और भाई-बहन मे प्रेम बना रहेगा मोतीचूर के लड्डू गणेश प्रतीक राखी बांधे है ।

राशि के लोगों के लिए नीला या सफेद रंग की राखी बांधना शुभ योग है हलवा या घर की बनी मिठाई रेशमी पीली डोरी भी बाध सकते हैं ।

-वृश्चिक राशि वाली बहने अपने भाई के लिए गुलाबी रंग या लाल रंग की राखी बधे और मिठाई भी लाल रंग की खिलाए तो सुख और सौभग्य में बृध्दि होगी ।

इस राशि के लोग को सुनहरे या पीले रंग की राखी बांधने चाहिए तो जीवन में अच्छा होगा रसगुल्ले खिलाएं ।

मकर–राशि के लोगों को न्याय के देवता वाली राशि कहा जाता है जिसे बहन अपने भाई को नीले रंग की राखी बांध है अटूट रिश्ता बना रहेगा बालूशाही या मिला-जुला धागा बांधे ।

कुंभ– राशि के लोग गहरे हरे रंग का रुद्राक्ष माला पहनावे बहनों को अपने भाई के लिए मिल्क केक या पीले रंग का धागा बांधना चाहिए ।

मीन — राशि के लोगों को सुनहरा हरा रंग की राखी खरीदनी चाहिए इससे शुभ माना जाता है ऐसे लोगों के पीले रंग की राखी शुभ मानी जाती है जो शुभ का प्रतीक होता है ।

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