कमजोर दिल वाले जरूर पढ़ें !

रात के 2 बजने को है, नींद न आने की वजह से मैं बिस्तर पर पड़ा करवट बदल रहा था।सरराहट के साथ हवाएं शोर मचा रही थीं, वातावरण में हल्की नमी और गहरी विरानीयत बनी है।दूर कहीं कुत्ते की रोने की मद्धम आवाज आ रही है।अचानक खट ख़ट ख़ट…की पदचाप मेरे दरवाजे की तरफ बढ़ती है।मैं चौंक कर…पहले ध्यान से सुनता हूँ, वह आवाज मेरे दरवाजे पर आकर थम जाती है।मैं-क क..कौन है…कौन है वहां…
उसके पैरों कि आहट माहौल में मरघट सी शांति और दहशत पैदा कर रही है।अचानक से एक चमगादड़ चिं चिं करते उड़ता है।मैं सहमते हुए अंधेरे में आंखे चौड़ी करके फिर से कहता हूं ।क…क… कौन है…कौन है…कोई बोलता क्यों नहीं।अचानक से दरवाजे पर कोई हल्के से ठक ठक करता है।उसके बाद रोशनदान पर बैठे कबूतर फड़फड़ाते हुये उड़ जाते हैं।अब तक धड़कनें इतनी तेज हो चुकी थीं की सीने की पसलियां तोड़ कर दिल बाहर आने को बेताब हो चुका था।मैंने पूरे हिम्मत से चीखते हुए। कौन है…आखिर बोलता क्यों नहीं।फिर तेज से किसीने दरवाजे को थपथपाया।इसी दरम्यान एक बिल्ली मियांउ मियाउँ करते बड़ी तेजी भागती है।मेरा हलक अब तक पूरी तरह सूख चुका था। मगर अब हिम्मत कर मैं दरवाजा खोलने की ठान चुका था।कम्बल को एक किनारे कर कांपते शरीर को दिलासा दिया और अंधेरे में उठकर बिजली के बोर्ड को तलाशते हुए स्वीच ऑन किया । यह क्या..लाइट तो गुल थी।अब दरवाजे पर जोर जोर से थाप लगाने की वजह से दरवाजा धप्प धप्प कर हिलने लगा था। साथ में कोई घुटी घुटी आवाज में मेरा नाम पुकार रहा था।मैंने हिम्मत जुटा कर टटोलते हुए दरवाजे की कुंडी खोल दी…अचानक से अंधेरे में कोई भारी चीज मुझसे टकराई।मेरी चीख निकलने वाली थी।तब से लाइट आ गयी।
रौशनी में देखा तो बगल का कल्लू सिंहवा मुहं में पान भरे खड़ा था।मैं लम्बी सांस लेते हुए गुस्से में।अबे घोसड़ी के कनडेबरी के भतार तू बोल क्यों नहीं रहा था।वह गुगुलाये पान को अंदर निगलते हुए…अबे विनय अबहियँ कचहरी वाले ‘जवाहिर चच्चा’ का पान जमाये लीहें थें इसलिए थूकना मुनासिब नहीं समझा।
मैं-अबे युगांडा के जंगली भैंसे…मसाईमाड़ॉ के जेब्रा…वर्षावन के वनमानुष, रामसे ब्रदर के साढ़ू। तेरे पान के चक्कर में अभी मेरे नाभि के नीचे वाले नल से बे टाइम पानी की धार फुट पड़ती।चल बता क्या काम है।वह सहमते हुए–अबे विनय सारी बे तू काहे इतना नाराज हो रहा है,चल भेरी सारी। दरअसल आज तेरी भाभी का ‘बड्डे’ है न उसे विस् करना था मगर मोबाइल डिस्चार्ज हो गया। अपना पावर बैंक दे दे चार्ज कर बोल दूं। वरना उ नाराज हो जाएगी कि मैंने उसे रात को विश नहीं किया।मैं-उसे पावर बैंक सौंपते हुए,यह ले बुजरव के,इसे भले ही लौटाना मत मगर आज से दोबारा रात को इस तरह मत आना ।वरना डायरी में लिख दूंगा की अगर मेरी हार्ट अटैक से मृत्य होती है। तो उसका कारण कल्लू सिंहवा है। और उसे सजा के तौर पर जेल और मृत्युदंड की जगह ‘वहाँ’ तब तक पेट्रोल भरा जाय जब तक उसके मुंह से धुँआ न निकलने लगे, समझे।उसके बाद कल्लू सिंहवा डोकवा नियर मुँह बना के चला गया। और हम भी पोक्कन पटेल के बैल की तरह फइल के सो गयें।

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