• 75वें स्वतंत्रता दिवस के बाद से अब तक तिरंगे का अपमान

सत्य प्रकाश । आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर मोदी सरकार ने 20 जुलाई 2022 को राष्ट्रीय ध्वज कानून में संशोधन करते हुए हर स्थान पर तिरंगा फहराने की स्वतंत्रता दी। इतना ही नहीं बल्कि पूरी ताकत लगा कर हर घर तिरंगा पहुंचाने और फहराने की कवायद भी पूरी की गयी । इसके लिए देश के शीर्षस्थ नेता से लेकर गांव स्तर के सफाई कर्मचारी तक को तिरंगा घर घर भेजने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी । स्वतंत्रता दिवस पर देशभर में उत्साह की लहर देखने को मिली, मानो देश ने एक बार फिर आजादी का जश्न मनाया हो। हर घर, छत और वाहन पर तिरंगा शान से लहराता दिखाई दिया।
लेकिन स्वतंत्रता दिवस के बीतने के बाद जैसे राष्ट्र भक्ति का जज्बा भी धुंधला होने लगा , राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान की परवाह करना मानो लोग भूल गए। तिरंगा धूप, धूल और हवा के थपेड़े खाता रहा और धीरे-धीरे उसकी हालत खराब होती चली गई। परिणामस्वरूप जगह-जगह फटे हुए बदरंग तिरंगे देखने को मिलने लगे हैं, जो राष्ट्रीय ध्वज का सीधे सीधे अपमान है। देशभर में विभिन्न स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज की ऐसी दयनीय स्थिति ने लोगों की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ध्वज के चिथड़े उड़ गए और किसी ने भी इसकी सुध भी नहीं ली। स्वतंत्रता के 74 वर्षों में ऐसा अपमान किसी ने नहीं देखा था, जो अपमान स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में देखने को मिला। होना यह चाहिए था कि जिस जोश खरोस के साथ तिरंगा ध्वज फहराया गया, वही जोश तिरंगा ध्वज को ससम्मान उतरवाने में भी होना चाहिए था ।
निश्चित तौर पर यह स्थिति राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सम्मान की कमी और लोगों की लापरवाही को दर्शाती है। तिरंगे का ऐसा अपमान न केवल राष्ट्रीय गौरव को ठेस पहुंचाता है, बल्कि यह देशभक्ति की भावना को भी कमजोर करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि तिरंगे का सही तरीके से उपयोग और उसकी मर्यादा का पालन करना हर नागरिक का कर्तव्य है। राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सम्मान और उसे सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है। सरकार और समाज को इस दिशा में मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि भविष्य में राष्ट्रीय ध्वज का ऐसा अपमान न हो। लोगों को तिरंगे के महत्व और उसके सम्मान के प्रति जागरूक करना आवश्यक है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि तिरंगा हमेशा शान से लहराए और उसका सम्मान हमेशा बरकरार रहे।
राष्ट्रीय ध्वज का यह अपमान एक गंभीर मुद्दा है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हमें मिलकर तिरंगे का सम्मान बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे, ताकि स्वतंत्रता दिवस की यह गौरवशाली परंपरा और राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान सदैव बरकरार रहे।

राष्ट्रीय ध्वज कानून (संशोधन से पूर्व)

राष्ट्रीय ध्वज कानून में संशोधन से पहले भारतीय ध्वज संहिता में कुछ सख्त नियम थे जिनका पालन करना अनिवार्य था। ये नियम राष्ट्रीय ध्वज के उपयोग, फहराने के तरीके, और उसके प्रति सम्मान बनाए रखने के लिए निर्धारित किए गए थे। संशोधन से पहले के मुख्य नियम निम्नलिखित थे:

  1. ध्वज का निर्माण
  • राष्ट्रीय ध्वज केवल खादी या हाथ से बुने कपड़े से ही बनाया जा सकता था।
  • मशीन से बने और पॉलिएस्टर जैसे अन्य कपड़ों के ध्वज का उपयोग निषिद्ध था।
  1. फहराने का समय
  • राष्ट्रीय ध्वज को केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही फहराया जा सकता था।
  • रात में ध्वज फहराना प्रतिबंधित था।
  1. उचित स्थान
  • ध्वज को सार्वजनिक, सरकारी भवनों, और विशिष्ट स्थानों पर ही फहराने की अनुमति थी।
  • निजी नागरिकों को ध्वज फहराने के लिए कुछ निश्चित अवसरों और दिनों तक सीमित किया गया था, जैसे राष्ट्रीय पर्व (स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस)।
  1. झंडे का उपयोग और सम्मान
  • राष्ट्रीय ध्वज को जमीन पर रखना या उसे जलाना, फाड़ना, या किसी भी प्रकार से उसका अपमान करना सख्त वर्जित था।
  • किसी भी अन्य वस्तु, जैसे पोशाक, गाड़ी आदि पर राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग प्रतिबंधित था।
  1. ध्वज का आकार और अनुपात
  • राष्ट्रीय ध्वज के रंग, आकार और अनुपात का सख्ती से पालन करना अनिवार्य था। ध्वज का अनुपात हमेशा 3:2 का होना चाहिए।
  • ध्वज पर कोई भी लेखन या चिन्ह अंकित करना निषिद्ध था।
  1. उपयोग के नियम
  • ध्वज को फहराते समय उसे हमेशा एक सम्मानजनक स्थिति में रखा जाना चाहिए।
  • यदि ध्वज को आधा झुका हुआ दिखाना हो, तो केवल राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, या प्रधानमंत्री की मृत्यु के अवसर पर ही ऐसा किया जा सकता था।

राष्ट्रीय ध्वज कानून (संशोधन के पश्चात)

राष्ट्रीय ध्वज कानून में हालिया संशोधन में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जिनमें प्रमुख रूप से ध्वज फहराने के नियमों में ढील और तिरंगे के उपयोग के संदर्भ में लचीलेपन को शामिल किया गया है।

संशोधन के मुख्य बिंदु

  1. पॉलिएस्टर और मशीन-निर्मित ध्वज की अनुमति
    पहले भारतीय ध्वज को केवल खादी या हाथ से बुने कपड़े से ही बनाया जा सकता था। अब पॉलिएस्टर और मशीन-निर्मित ध्वजों का भी उपयोग किया जा सकता है।
  2. ध्वज फहराने के समय में बदलाव
    पहले तिरंगा केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही फहराया जा सकता था। अब इसे दिन और रात दोनों समय फहराने की अनुमति दी गई है, बशर्ते ध्वज उचित प्रकाश व्यवस्था के साथ हो।
  3. व्यक्तिगत और संस्थागत उपयोग की अनुमति
    अब नागरिक, निजी संगठन या संस्थान किसी भी दिन और किसी भी अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज को सम्मानपूर्वक फहरा सकते हैं। इससे पहले, ध्वज फहराने के विशेष अवसर और दिन ही निर्धारित थे।
  4. लचीलेपन के साथ ध्वज फहराना
    अब राष्ट्रीय ध्वज को विभिन्न प्रकार के भवनों, परिसरों और निजी परिसरों में भी फहराया जा सकता है, जिससे लोग अधिक स्वतंत्रता और सम्मान के साथ इसे फहरा सकते हैं।
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